Kartik Purnima Kab Kaise Mnaye: कार्तिक पूर्णिमा 2023
कार्तिक पूर्णिमा, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को कहा जाता है, जो नवम्बर और दिसम्बर के बीच आता है। इस दिन को पूरे भारतवर्ष में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे कि कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली, तुला संक्रांति और गुरु नानक जयंती।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:
1. विशेष पूजाएं: कार्तिक पूर्णिमा के दिन हिन्दू धर्म में विभिन्न देवताओं की पूजा की जाती है। इस दिन को विशेष रूप से तुला संक्रांति कहते हैं और इसे देव दीपावली भी कहा जाता है, जिसमें देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
2. गंगा स्नान: कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान का विशेष महत्व है। लोग इस दिन स्नान करने के लिए गंगा घाटों पर जाते हैं और अपने पितृदेवताओं की श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
3. तुला संक्रांति: इस दिन सूर्य देव तुला राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे तुला संक्रांति कहा जाता है। इस दिन को मान्यता पूर्ण विशेष बनाई जाती है।
4. देव दीपावली: इस दिन को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है, जिसमें देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और घरों को दीपों से सजाया जाता है।
5. व्रत और दान: कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत और दान करने का विशेष महत्व है। लोग इस दिन विभिन्न प्रकार के व्रत रखते हैं और दान देते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का अद्भुत महत्व है क्योंकि इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और लोग धर्मिक और पारंपरिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत कथा:
एक समय की बात है, अयोध्या नगर में राजा हरिश्चंद्र नामक एक सुशील राजा थे। वह धर्मात्मा और न्यायप्रिय राजा थे, जिन्होंने अपने राज्यवासियों को सुख-शांति देने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहा।
राजा हरिश्चंद्र का एक पुत्र था जिसका नाम रोहिताश्व था। राजा का पुत्र अत्यंत भक्तिभाव से भरा हुआ था और वह भगवान विष्णु के अराधक थे। रोहिताश्व ने अपने पिताजी से एक दिन पूछा, "पिताजी, मुझे बहुत दिनों से भगवान विष्णु की पूजा करनी है। कृपया मुझे उनकी पूजा कैसे करनी चाहिए?"
राजा हरिश्चंद्र ने रोहिताश्व को भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए सही विधि बताई और उन्होंने उसे ब्रह्मचर्य में बिताने का सुझाव दिया। रोहिताश्व ने अपने पिताजी की सीखों का पालन करते हुए ब्रह्मचर्य में रहकर भगवान विष्णु की उत्कृष्ट पूजा की।
एक दिन, भगवान विष्णु ने स्वयं रोहिताश्व के समक्ष प्रकट होकर उससे पूछा, "तू मुझे क्यों पूजता है, रोहिताश्व?" रोहिताश्व ने भगवान को अपने हृदय से अपनी भक्ति का अनुभव कराया और उन्हें सच्चे मन से पूजा गया।
भगवान विष्णु ने रोहिताश्व की भक्ति को देखकर उसे वरदान देने का निर्णय किया और उससे कहा, "रोहिताश्व, तू मेरे अत्यंत प्रिय
भक्त है और मैं तुझे वरदान देता हूँ कि तू अपने पिताजी के साथ अपने राज्य को छोड़कर वनवास जाएगा और वहां तपस्या करेगा। तुझे मेरा आशीर्वाद मिलेगा और तू अपने राज्य को वापस प्राप्त करेगा।"
रोहिताश्व ने भगवान के वचन का पालन करते हुए अपने पिताजी को छोड़कर वनवास का निर्णय लिया और वह वनवास में गए। अपने तपस्या और भक्ति से उन्होंने भगवान को प्रसन्न किया और वर्षों बाद अपने राज्य को पुनः प्राप्त किया।
इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का महत्व बताया जाता है। इस दिन व्रती लोग भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी विवाह कैसे करें?
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी विवाह का आयोजन:
तुलसी विवाह का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया जाता है, जब शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि आती है। यह एक हिन्दू पर्व है जिसमें तुलसी को विष्णु भगवान की पत्नी माना जाता है और इस दिन उनका विवाह श्रीकृष्ण से किया जाता है। यहां कुछ कदम हैं जिन्हें आप तुलसी विवाह के दिन अनुसरण कर सकते हैं:
1. तुलसी पूजा:
पहले तो, आपको तुलसी की पूजा करनी चाहिए। तुलसी के पौधे को साफ़ पानी से धोकर सजाकर उसे विशेष रूप से सजाना चाहिए।
2. तुलसी विवाह की साज सजाना:
तुलसी के पौधे के चारों ओर कुछ सुंदर सजावट लगाएं। इसमें फूल, धूप, दीपक, चादर, आदि शामिल हो सकते हैं।
3. भगवान विष्णु की मूर्ति सजाना:
तुलसी के पौधे के पास भगवान विष्णु की मूर्ति सजाएं। इसके लिए आप एक छोटी सी मूर्ति का चयन कर सकते हैं।
4. कथा पठना:
तुलसी विवाह के दिन, तुलसी के पौधे के सामने विष्णु कथा का पाठ करें।
5. अन्नदान करना:
इस दिन भूखे लोगों को खाना खिलाना भी शुभ माना जाता है।
6. विवाह समारोह:
तुलसी का विवाह तुलसी के पौधे के साथ करें। इसके लिए आपको श्रीकृष्ण की मूर्ति का एक प्रतिरूप बनाना हो सकता है या विशेष रूप से तैयार किए गए विवाह मूर्ति का उपयोग कर सकते हैं।
7. भोजन:
विवाह के बाद भगवान का प्रसाद बाँटना शुभ होता है।
यहीं कुछ बुनियादी कदम हैं, लेकिन आप अपनी आदतों और परंपराओं के अनुसार इसे और भी सजाकर मनाने के लिए अपनाएं।
Kartik Purnima Ke Status, Ouotes Aur Messages : कार्तिक पूर्णिमा पे स्टेटस, उत्साह और संदेश
आपको इस कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुभकामनाएं! यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर आप इस त्योहार के लिए शुभकामनाएं, स्टेटस, उद्धरण और संदेश पा सकते हैं:
1. "कार्तिक पूर्णिमा के पावन दिन पर, तुलसी विवाह के इस मौके पर, भगवान विष्णु और तुलसी माता की कृपा आपके साथ रहे। आपको कार्तिक पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनाएं।"
2. "कार्तिक पूर्णिमा के इस महत्वपूर्ण दिन पर, भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आपके जीवन को सुखमय बनाए रखे। इस पावन अवसर पर शुभकामनाएं!"
3. "तुलसी विवाह के पावन मौके पर, भगवान विष्णु और तुलसी माता से आपको बढ़िया जीवन और सुख-शांति मिले। कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं!"
4. "इस कार्तिक पूर्णिमा, तुलसी विवाह के शुभ अवसर पर, आपके घर में प्रेम, शांति, और समृद्धि हमेशा बनी रहे। शुभ कार्तिक पूर्णिमा!"
5. "तुलसी विवाह के इस पावन मौके पर, आपके जीवन में भगवान की कृपा हमेशा बनी रहे और आप सदैव खुश रहें। कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!"
कार्तिक पूर्णिमा से सम्बंधित कुछ प्रश्न:
1. कार्तिक पूर्णिमा क्या है?
कार्तिक पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को कहा जाता है। यह विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों के लिए महत्वपूर्ण है।
2. कार्तिक पूर्णिमा का महत्व क्या है?
कार्तिक पूर्णिमा को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इसे साकारात्मक ऊर्जा, सात्त्विक ऊर्जा, और सत्य ऊर्जा से भरा माना जाता है। यह भगवान विष्णु और कार्तिकेय को अर्पित होता है।
3. कार्तिक पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?
कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा और आराधना के साथ मनाया जाता है। स्नान, दान, पुण्य कार्य, और तुलसी विवाह इस दिन किए जाते हैं।
4. तुलसी विवाह क्या है?
तुलसी विवाह कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसमें तुलसी की पौध विशेष रूप से विष्णु भगवान से विवाहित की जाती है। यह अद्भुत रीति से सार्थक है और तुलसी का आदर्श परिपूर्ण पतिव्रता को दर्शाता है।
5. कार्तिक पूर्णिमा की पूजा कैसे करें?
कार्तिक पूर्णिमा की पूजा में भगवान विष्णु की मूर्ति को सजाकर उपचार करें। स्नान, दीपदान, तुलसी विवाह, पूजा-अर्चना, व्रत आदि कार्यक्रमों को संपन्न करें।