परदा कहानी:
यशपाल समाजवादी विचारधारा के प्रबुद्ध कहानीकार थे ।अपनी कहानियों के माध्यम से उन्होंने अपने निम्न मध्यम वर्ग के जीवन का विशद चित्रण किया है।पर्दा उनकी कठोर सत्य और यथार्थ पर आधारित कहानी है। कहानी कला की दृष्टि से इस कहानी की विशेषताओं का उद्घाटन किस प्रकार किया जा सकता है।
परदा कहानी का कथानक:
परदा कहानी में से एक ऐसे मुस्लिम परिवार का चित्र खींचा गया है जो पर्दे की आड़ में किसी प्रकार अपनी दीनता और दरिद्रता को छुपाए हुए हैं। कहानी में चौधरी परिवार की परिवारिक स्थिति और दरिद्रता का मार्मिक चित्रण हुआ है। चौधरी खानदान का यह पर्दा उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक है निर्धन होते हुए भी चौधरी साहब अपनी मर्यादा पर पर्दा डाल डाले रहते हैं और जब वह खान द्वारा हटा दिया जाता है तो वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं मानव हृदय के द्वंद को लेकर आगे बढ़ने वाली यह कहानी अपने अंतस में हाहाकार छुपाए हुए हैं। कहानी का अंत कथानक के पूरे कथ्य को प्रभावशाली बना देता है। खान द्वारा पर्दे का हटाया जाना मध्यवर्गीय मानसिकता की दिखावटी मर्यादा का पूंजीवादी व्यवस्था द्वारा हरण किए जाने का प्रतीक है और यह अंत संपूर्ण कथानक के प्रभाव में वृद्धि करता है एक कथन इस संदर्भ में दृश्टव्य है।
पर्दा जिस भावना का अवलंब था, वह मर चुकी थी।
कहानी का शीर्षक कथानक के भाव एवं उद्देश्य को स्पष्ट करता हुआ संपूर्ण तथ्य को उजागर करता है। अतः या शीर्षक पूर्णता उपयुक्त है। इस कहानी का कथानक संगठित है उससे कहीं भी बिखराव नहीं है। घटना आपस में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। वस्तुतः यहां मानव जीवन के संघर्ष की कहानी का रूप दिया गया है।